पातर कमरिया पे गमछा लाल
मोछिया पे ताव जैसे चंद्रशेखर आजाद।
सखी, का करि आपन राजा के बखान
मार करे लिट्टी-चोखा पे आ, हमार
होंठवा के कहेलन आम के आचार।
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मेरी जान मोहब्बत में
कई रात रोया हूँ.
टुटा हूँ हर रोज खुद में
पर भूल ना पाया हूँ.
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ना जुल्म कर इतना
की ये दिल है, जिस्म नहीं।
बस एक मुलाकात मांगी है
तेरा जहाँ नहीं।
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प्रयत्न कर
— ना रत्न के लिए
— ना स्वर्ण के लिए
— ना आभूषण के लिए
— ना यौवन के लिए
— ना आलिंगन के लिए
बस एक रण के लिए.
रण कर
— ना जीत के लिए
— ना रीत के लिए
— ना प्रीत के लिए
— ना मनमीत के लिए
— ना अतीत के लिए
बस कर्तव्य के लिए.
कर्तव्य कर
— ना प्रसंशा के लिए
— ना अनुसंशा के लिए
— ना विशेषता के लिए
— ना महानता के लिए
— ना सत्ता के लिए
बस मानवता के लिए.
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शिव मेरी आत्मा
शिव मेरे पिता
शिव को पता है, मैं मांगता हूँ क्या?
दिल के ताड़ जुड़े शिव से
शिव हैं संसार मेरे
शिव को पता है, मैं मांगता हूँ क्या?
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पापी मन के पाप को हर के
तार दो मुझे नाथ मेरे।
सबकुछ पाकर भी ना संतोष हुआ
तृप्त करो मुझे नाथ मेरे।
राहें मिलती गयी, मैं भटकता गया
समझ ना पाया प्रभु आपकी माया।
चरणों में आपके शरणागत हूँ
कृपा करो अब नाथ मेरे।
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