चुनाव


मैंने लिखी जो कबिता वो तुम्हारे हुस्न पे थी,
उसने लिखी जो कबिता वो तुम्हारे जिस्म पे थी.
और, तुमने चुन लिया उसे ही,
जिसकी नजर तुम्हारे जिस्म पे थी.

 

परमीत सिंह धुरंधर