प्रयत्न कर
— ना रत्न के लिए
— ना स्वर्ण के लिए
— ना आभूषण के लिए
— ना यौवन के लिए
— ना आलिंगन के लिए
बस एक रण के लिए.
रण कर
— ना जीत के लिए
— ना रीत के लिए
— ना प्रीत के लिए
— ना मनमीत के लिए
— ना अतीत के लिए
बस कर्तव्य के लिए.
कर्तव्य कर
— ना प्रसंशा के लिए
— ना अनुसंशा के लिए
— ना विशेषता के लिए
— ना महानता के लिए
— ना सत्ता के लिए
बस मानवता के लिए.
RSD