गाँधी जी और भगत सिंह


अधिकारों की मांग बस प्रतिकार से नहीं होगा,
प्रहार भी करना होगा उनपे,
उनके मनुहार और गुहार से नहीं होगा।

जो कहते हैं की ये बस गाँधी की देन है,
उन्हें गुलामी और आजादी के फर्क का,
कभी एहसास नहीं होगा।

उन्हें दिखा दो कभी तस्वीरें,
तिब्बत और दलाई लामा की,
फिर उन्हें अहिंसा से आजादी प्राप्ति का,
झूठा अभिमान नहीं होगा।

उन्हें भी एहसास है कहीं – ना – कहीं,
गाँधी जी की इस गलती का,
वरना छोड़ कर सारे क्रांतिकारियों को,
उनके लबों पे भगत सिंह का जय – जयकार नहीं होता।

अधिकारों की मांग बस प्रतिकार से नहीं होगा,
प्रहार भी करना होगा उनपे,
उनके मनुहार और गुहार से नहीं होगा।

 

परमीत सिंह धुरंधर

धरती भारत की


जहाँ गंगा की हर धार में,
खेलती है जवानी,
वो धरती है भारत की,
जहाँ वीर हुए बलिदानी।
जहाँ शंकराचार्य ने,
वेद गढ़े,
और नानक ने,
दिए गुरुवाणी।
वो धरती है भारत की,
जहाँ वीर हुए बलिदानी।
जहाँ पहन केशरिया,
भगत सिंह, निकले दुल्हन लाने,
और जीजा बाई ने दी,
शिवा जी को शिक्षा अभिमानी।
वो धरती है भारत की,
जहाँ वीर हुए बलिदानी।

परमीत सिंह धुरंधर 

माँ और भगत सिंह


तेरा वैभव मेरी माँ,
हैं तेरी ये मुस्कान।
न चिंता कर,
मेरी इस देह की,
ये जगा जायेगी,
सारा हिंदुस्तान।
मैं रहूँ या न रहूँ,
कल की सुबह में।
पर जलती रहे,
तेरे चूल्हे में,
हरदम ये आग।

परमीत सिंह धुरंधर 

शहीदे -आजम भगत सिंह


बहुत दूर तक फैलने से अच्छा है,
तेरी गोद में सिमट के रह जाऊं,
ए माँ , तेरा आँचल में हर दर्द सह जाऊं.
किसी अम्बर का चाँद बन्ने से अच्छा है,
तेरी आँखों का तारा बन के टूट जाऊं.
ए माँ , तेरा आँचल में हर दर्द सह जाऊं,परमित…..Crassa