अधिकारों की मांग बस प्रतिकार से नहीं होगा,
प्रहार भी करना होगा उनपे,
उनके मनुहार और गुहार से नहीं होगा।
जो कहते हैं की ये बस गाँधी की देन है,
उन्हें गुलामी और आजादी के फर्क का,
कभी एहसास नहीं होगा।
उन्हें दिखा दो कभी तस्वीरें,
तिब्बत और दलाई लामा की,
फिर उन्हें अहिंसा से आजादी प्राप्ति का,
झूठा अभिमान नहीं होगा।
उन्हें भी एहसास है कहीं – ना – कहीं,
गाँधी जी की इस गलती का,
वरना छोड़ कर सारे क्रांतिकारियों को,
उनके लबों पे भगत सिंह का जय – जयकार नहीं होता।
अधिकारों की मांग बस प्रतिकार से नहीं होगा,
प्रहार भी करना होगा उनपे,
उनके मनुहार और गुहार से नहीं होगा।
परमीत सिंह धुरंधर