पतली कमर पे
आग लगा दूँ, हाहाकार मचा दू रानी।
काट ले जवानी, आके खलियानी।
झुमका दिला दूँ, नथुनी दिला दूँ
तू चल मलमलिया मेरी रानी।
काट ले जवानी, आके खलियानी।
छपरा दिखा दूँ, पटना घुमा दूँ
तू रिक्शे पे संग बैठ तो मेरी रानी।
काट ले जवानी, आके खलियानी।
परमीत सिंह धुरंधर