ए गुलाबो, वो गुलाबो,
सुन गुलाबो तू जरा,
मेरी छमिया, मुझको छोड़ चली,
अब घर सम्भाल तू मेरा।
छोटे- छोटे मेरे बच्चे,
देख तुझी को अम्मा बोलें।
इनके मुख को ही देख के,
अब चूल्हा जला तू मेरा।
ए गुलाबो, वो गुलाबो,
सुन गुलाबो तू जरा,
मेरी छमिया, मुझको छोड़ चली,
अब घर सम्भाल तू मेरा।
बोलेगी तो नथुनी दिला दूँ,
ना तो बोलेगी तो हँसुली।
जो आये मन में, वो करना,
करूँगा ना, टोका – टोकी,
बस साँझ -सबेरे आके कर दे,
चूल्हा -चौकी तू मेरा।
मेरी छमिया, मुझको छोड़ चली,
अब घर सम्भाल तू मेरा।
परमीत सिंह धुरंधर