भीषण युद्ध होगा
आरम्भ और अंत मेरे हाथ नहीं
परिणाम का मुझे ज्ञान नहीं
पर क्षण-क्षण में प्रलय का आभास होगा।
भीषण युद्ध होगा
भीषण युद्ध होगा।
सूर्य की तपिस और चंद्र की शीतलता
से ज्यादा, इस धरती का मेरी तीरों से श्रृंगार होगा।
जीत उनकी भले निश्चित हो गयी है आपके साथ से
मगर मेरे जीते-जी, पल-पल में उन्हें हार का भय होगा।
भीषण युद्ध होगा
भीषण युद्ध होगा।
साँसों का क्या है?
अभिन्दन में बीते, या वंदन में बीते
पौरष वही है जिसकी साँसे ना भय में बीते।
सुबह या शाम चाहे जैसी हो, मेरी तीरों का लक्ष्य बस एक होगा।
भीषण युद्ध होगा
भीषण युद्ध होगा।
Rifle Singh Dhurandhar