मैं भी नीलकंठ बनूंगा


गहन अध्ययन कर के विद्वान् बनूंगा
हे शिव मेरे, आशीर्वाद दो मुझे
की अब मैं भी महान बनूंगा।
अभी बालक हूँ, बालपन में भटकता हूँ
हे शिव मेरे, आशीर्वाद दो मुझे
मैं भी भगीरथ बनूंगा।

तुम त्रिकाल हो, त्रिपुरारी हो
तुम अनंत तक के विस्तार में
तुम ही गंगा, तुम्ही काशी
तुम जीवन की हर एक धार में
हे शिव मेरे, आशीर्वाद दो मुझे
विषपान कर मैं भी नीलकंठ बनूंगा।

Rifle Singh Dhurandhar

मेरा भोला तो भंडारी है


जो सर्वविदित, सर्वव्यापी है
मेरे ह्रदय में स्थापित है.
जो गंगा, और काशी है
भांग-धतूरा, कैलासवासी है.
मेरा भोला तो भंडारी है
त्रिलोकी-त्रिपुरारी है.

Rifle Singh Dhurandhar

भाँग माँगता हूँ


ना स्वर्ग माँगता हूँ, ना मोक्ष माँगता हूँ
भोलेनाथ तुम हो हमारे, बस भाँग माँगता हूँ.
सोया नहीं कई रात से मैं
तेरे दर्शन का अभिलाषी, तेरा नाम जपता हूँ.

Rifle Singh Dhurandhar

वो भक्त है महाकाल का


पुराणों में लिखा एक नाम है
बस मेरे भोलेनाथ का.
जिसे भय ना मायाजाल का
वो भक्त है महाकाल का.

शिव मेरे हैं, शिव मेरे
शिव से मेरा नाता है.
मैं क्या सम्भालूं खुद को?
जब स्वयं शिव मेरा रखवाला है.
स्वयं विराजे है कैलाश पे जो
पर सब पे जिसका ध्यान हाँ.

जिसे भय ना मायाजाल का
वो भक्त है महाकाल का.
जो नित करे विषपान हाँ
वो भक्त है महाकाल का.
जिसे अमृत से प्यारा भाँग हाँ
वो भक्त है महाकाल का.

Rifle Singh Dhurandhar