नशा


नशा मत करो जिंदगी में,
हर नशा कब्र की ओर ही जाता है.
मोहब्बत हो या जाम, एक बार सोच ले,
घर आखिर में खुद का ही बिकता है.
दो पल उनकी बाहों में जाने के लिए इतना है बेताब,
जहाँ जाके इंसान अपना सब कुछ गवाता है.

परमीत सिंह धुरंधर