एक कर्ज है बस तेरा ही बहना,


हम तोमर हैं,
हम राजपूत हैं.
हमारा गौरव है,
इतिहास भरा है,
हमारे साहस से.

हमारे पिता भी लड़ाकू थे,
रौंदा था दिल्ली को,
कई बार, बुढ़ापे में.
पर एक कर्ज है बस,
तेरा ही बहना,
इस चकर्वर्ती घराने पे.

हर बेटी,
ले गयीं दौलत ढ़ो – ढ़ो कर.
कभी दुःख बता कर,
तो कभी रो – रो कर.
बस तूने ही डाला था पर्दा,
हमारी खाली तिजोरी,
और टूटती दीवारों पे.

तू नारी नहीं, तू अबला नहीं।
ना किस्मत की कोई धारा है.
तू उस महारथी पिता की तेजोपुंज है,
जिसकी खडग थी तू,
उसके आखिरी समर में.

तू दीप नहीं जिसकी लौ,
हवाओं के दुआ पे.
तू चाँद नहीं जिसका अस्तित्व,
बस सूरज के छुपने पे.
तू उस महारथी पिता की पुत्री है,
दिशाएँ गूंजती थी जिसकी दहाड़ पे.
बस एक तेरा ही कर्ज है बहना,
उस चकर्वर्ती के इस घराने पे.

 

परमीत सिंह धुरंधर

लाड़ली


बाबुल तुझसे दूर जा रही है,
तेरी लाड़ली अनजान बनके।
नए धागों में ही बांधना था,
तो क्यों संभाला था दिल में?
अपनी जान बोलके।
मैं हंसती थी, तो तुम हँसते थे.
मैं रोती थी, तो तुम रोते थे.
रिश्ता था अगर वो सच्चा,
तो क्यों बाँट दिया आँगन?
मुझे अपना सौभाग्य बोलके।
अब किससे दिवाली पे तकरार होगी?
रूठ कर किसपे प्रहार करुँगी?
याद आवोगे जब इन आंशुओं में,
तो किसके सीने से दौड़ के लगूंगी?
अगर मैं हूँ खून तुम्हारा,
तो क्यों सौंप रहे हो गैरों को?
अपनी शान बोलके।

 

परमीत सिंह धुरंधर

बोल मेरी अम्मा


क से कबूतर मंडराने लगे हैं,
छज्जे पे अपने।
दाना चुगा के आ जाऊं क्या,
बोल मेरी अम्मा?
गुटर – गू उनकी प्यारी मुझको,
तुझको भी मिल जाएगा बैठे – बैठे दामाद।
तू कहे तो जाल बिझा के आ जाऊं,
बोल मेरी अम्मा।
ह से हट्टे – कट्टे हैं, कहीं उड़ ना जाएँ,
देख कोई नया मोहल्ला।
तू कहे तो आँख लड़ा के,
फाँस लूँ उनको, मेरी अम्मा।

 

परमीत सिंह धुरंधर

Oh my daughter don’t be afraid


Oh my daughter,
Oh my daughter,
Don’t be afraid.
I am always with you,
Whatever will be the instance?
I was never the perfect man,
Neither I am.
But I want you
To grow in my hand,
But I want you
To walk with confidence,
I want you to keep the smiling face.
Every morning,
I want you to blaze like a Sun,
Every evening,
I want you to sing like a bird,
I want you to flow like a river,
Whether it is mountain or boiling season.
If you want to love someone,
Don’t care for the religion,
But never break anyone’s heart,
Never try to play smart,
Never use family as an excuse,
Because I want you to be different than,
These independent Indian girls.
Oh my daughter,
Oh my daughter,
Don’t be afraid.
Don’t need to be perfect,
Just be confident,
I am always with you,
Whatever will be the instance?
I want you
To walk with confidence,
And keep the smiling face.

Parmit Singh Dhurandhar