वो महफ़िल में बसी हैं, अपने हुस्न को लेकर,
और पिला रहीं हैं सभी को, ओठों से छलका-छलका कर.
मैं चलता हूँ राहों में, हर कांटे को उठा कर,
जाने कब गुजरेंगी माएँ, नंगे पावँ चलकर.
है जावेद को घमंड जिस मुंबई के योवन पर,
रोज दान करते हैं हम उसे, परमित गंगा में नहा कर….Crassa
Month: April 2013
हिम्मते-मर्द
आरजुए — मोहब्बत कभी इंतकाम नहीं लेती,
ये तो हुस्न है उनका,जो इश्क को इलज़ाम देतीं.
वो जब मेरे पास थीं, चूम कर रखता था मैं,
फिर रहीं है अब गैरों की महफ़िल में, ठोकरों पे सालामी देतीं.
हिम्मते-मर्द की कभी शाम नहीं होती,
ये तो उनकी बेवफाई है जो उगते सूरज को दीदार देतीं, परमित…Crassa
गोरी और काली रानी
एक राजा की दो रानी,
एक गोरी ,
एक काली-कानी.
एक दिन शिकार में,
राजा हार गये,
शेर के प्रहार से.
कैसे तो जान बची,
पर बिछुड़ गये राजा,
आपने रानी के श्रींगार से.
घोड़े दोड़े ,
मंत्री भागे,
पूरब से पंछिम तक,
कोना-कोना छान मारा,
उत्तर से दक्खिन तक.
राज-पाट सँभालने को,
मंत्री बन गये राजा,
और, रानियाँ भूल गयी,
राजा को मंत्री के प्यार से.
भूलते-भटकते, एक दिन राजा
जा पहुंचे अपने दरबार में,
दुर्बल-मलिन तन को,
पहचान न सकी गोरी रानी,
कानी रानी ने स्वागत किया, परमित
राजा का प्रेम के मल्हार से.
मुंबई और दुर्बल मानसिकता
एक MMS के कारण मोना सिंह को उनके प्रेमी ने छोड़ दिया. लेकिन, एक आम आदमी ने शर्लिन चोपडा को अपना जीवन संगनी बनाना स्वीकार किया. आमिर खान ने अपनी बचपन की दोस्त, दो बच्चॊ की माँ, को छोड़ कर किरण राव को थाम लिया. वहीँ एक आम इंसान से स्टार बने शाहरुख़ खान आज भी गौरी के हमराज हैं. जहाँ सलमान खान रोज नयी प्रेमिका तलाशते रहते है, दरवाजा तोड़ते है, चेहरे पे खरोचे देते हैं; वहीं बिहार के लाल शत्रुहन सिन्हा ने वादे के अनुसार प्रेम विवाह किया. देश की राजनीती के खिलाडी फारुख अब्दुल्ला और उनके बेटे ने अपनी बेटी को बेदखल कर दिया, तो सचिन पायलट ने उसका हाथ कभी नहीं छोड़ा.
सोच न गन्दी होती है, न साफ़- सुथरी. बलात्कार परिचायक है हमारी मानसिक दुर्बलता का. जावेद अख्तर जी का ये कहना कि बलात्कार का एक मात्र कारण औरत को देवी समझना हैं, उनकी मानसिक दुर्बलता से उपजी सोच है. उनका अनुभव कहता है की आपस में बात करने से लड़के उन्हें इज्ज़त देंगे. कैसे भूल गये जावेद जी, हमारे इतिहास को. क्या शिवा जी का पराजित स्त्रियों को माँ का दर्जा देना ये साबित करता है की उनका उन सभी से रोजाना बात होती थी ? क्या ह्युमायु ने रानी रूपवती से कभी बात की थी, जो उसने उनकी राखी की इज्ज़त रखी? हमारी संस्कृति के कारण ही अकबर ने मीरा का सम्मान किया,कृष्णा ने द्रौपदी की लाज रखी.
सिर्फ मुंबई का उदहारण देना उनकी संकुचित मानसिकता का परिचायक है. जब उन जैसे लोग नेता बन जाते हैं, तो भारत का परिचय इन्हीं शब्दों से , शहरों से करते है. लेकिन वो कभी भी शोभा डे के शब्दों का युवावों पे नकारात्मक असर पर प्रकाश नहीं देंगे क्यों की शहरों में ही चोर-चोर मोसेरे भाई होते है. गावों में आज भी भाई सिर्फ बहनों के भाई होते हैं.
उन्हें मुनवर राणा की पंक्तियाँ पढना चाहिए, जिनको जन्नत भी माँ के आँचल में दीखता है…..
द्रौपदी का प्रेम
जब ठोकरों में तौलती है जिन्दगी,
तो माशूका की जुल्फें भारी होती हैं,
जब रातों के उड़ने लगती हैं नींदें,
तो मेरी माँ, तेरी लोरी याद आती है.
अर्जुन की मोहब्बत को भुला कर,
जब वो दुर्योधन की जाँघों पे बैठतीं हैं,
मेरे भाई, तेरा प्यार आँखों में उतर आता है.
पराजय जब चूमती है मस्तक को रण में,
तो माशूका की बांहें अरुवों की शिविर बनती है.
जख्मों में जब उबलती है रक्त की बुँदे,
तो पिता तेरी गोद, परमित को बहुत याद आती है…..Crassa
रौनके-आस्मां
टूटे हुए तारे से न पूछ रौनके-आस्मां,
उसके दामन में इतने सितारें,
एक मैं टूट भी गया तो उसका क्या.
मुरझाये कलि से न पूछ दास्ताने-गुलिस्ताँ,
उसके पहलु में इतने फूल,
एक मै मुरझा भी गया तो उसका क्या.
आशिक की मौत पे ना पूछ हाले-जिगर महबूबा का,
उसके आँचल में इतने हैं बैठे ,
एक मै मिट गया भी तो उसका क्या.
पूछना ही है अगर तुझे परमित, तो
उस माँ के दिल से पूछ, जिसके बेटे को आशिक बना के ,
अंगराई
उनकी हर अदा मस्तानी है दोस्तों,
कुछ उम्र का तकाजा है,
कुछ उनकी बेवफाई दोस्तों.
निकलतीं हैं जब भी गलियों में,
हाहाकार मच जाता है,
कुछ तो उनकी अंगों का तकाजा है, परमित
कुछ उनकी अंगराई दोस्तों…..Crassa
हुस्न
हुस्न वो चीज हैं परमित,
जिसने कई घर लूटे हैं,
सिर्फ एक घर बसाने के लिए…..Crassa
दिले-कब्र
उनसे दिल लगा के हम एसे खो गयें परमित,
की घर का पता भी तब चला जब कब्र में आ गयें .
खौंफनाक
मुझे खौंफनाक समझने वालों,
मुझसे खौंफजदा न हों.
मैं खुद खौंफजदा हूँ परमित,
की कोई मुझसे खौंफनाक न हों…..Crassa