ससुरा पी के हमके समझे आपन लुगाई राजा जी,
जल्दी पकड़ के राजधानी घरे आ जाई राजा जी.
कभी मांगें मीट, कभी मछली,
कभी कहेला बनाव मसाला वाला सब्जी,
घरी – घरी हमके दौरावे चुहानी राजा जी,
जल्दी पकड़ के राजधानी घरे आ जाई राजा जी.
ससुरा पी के हमके समझे आपन लुगाई राजा जी,
जल्दी पकड़ के राजधानी घरे आ जाई राजा जी.
परमीत सिंह धुरंधर