कहते हैं की काँटों में रहकर भी
गुलाब बहुत चटकदार होता है
जिसने इश्क़ किया है उससे पूछो
हुश्न किसका वफादार होता है.
Rifle Singh Dhurandhar
कहते हैं की काँटों में रहकर भी
गुलाब बहुत चटकदार होता है
जिसने इश्क़ किया है उससे पूछो
हुश्न किसका वफादार होता है.
Rifle Singh Dhurandhar
कहते हैं की सफर जितना तन्हा है तेरा
उतने ही मजबूत इरादे हैं तेरे
मंजिल तक आते -आते,
महफ़िल में तुझे भी बुलाया जाएगा।
कहते हैं की गैरों की बस्ती में
अगर घर बनाया है
मेहमान तो बहुत होंगे,
अपना कोई भी एक रात न ठहर पायेगा।
कहते हैं खुदा ने भी क्या?
बनाई है जिसे कहते हैं किस्मत?
हर सफलता को मेहनत और
असफलता को किस्मत बताया जाएगा।
कहते हैं की उसने एक घर बसा लिया है
अब कुछ दिनों में उसे मंदिर बताया जाएगा।
कहते हैं की मुझे दर्द में रख तू गम ना कर
तू जो दर्द में आया, मेरा गम छलक जाएगा।
कच्ची हो या पक्की,
सड़क दूरियां मिटाती है
माँ कैसी भी हो, किसी की भी हो
रोते बच्चे को ना देखा जाएगा।
कहते हैं की होश उड़ा देती हैं
उसकी आदाएं, सब्र कर,
जवानी ढलते – ढलते,
उसको भी भुलाया जाएगा।
Rifle Singh Dhurandhar
कहते हैं की मौसम बदल जाए
तो क्या होगा?
जो चला गया हैं
वो लौट के आएगा क्या?
कहते हैं की शादी वक्त रहते कर लो क्राससा
तो क्या होगा?
वो मेरी महफ़िल में आके नाचेगा क्या?
कहते हैं की सभी सूना रहे हैं
अपनी -अपनी बेगम के किस्से।
मगर किसी ने नहीं कहा
आज माँ-बाप ने भरपेट खाया है क्या?
कहते हैं की मैंने जिंदगी में
कुछ नहीं सीखा
जिसने सीखा, उसे बीबी को
खुश रखना आया है क्या?
कहते हैं की दीवारों के भी कान होते हैं
मगर पडोसी, पडोसी का दर्द समझ पाया है क्या?
Rifle Singh Dhurandhar
मोहब्बत इतना भी ना करो
की शिकायतें बढ़ जाए.
दूरियां इतनी भी ना कम हो
की दीवारें उठ जाए.
सभी इंसान हैं यहाँ
सबकी अपनी-अपनी हैं जरूरतें
खिड़कियों से ना झाँका करो
की कब -कहाँ, कोई नंगा दिख जाए.
Rifle Singh Dhurandhar
पप्पू जी हउअन हमार ड्राइवर
और पीया खलासी हो.
पप्पू जी हउअन हमार तेजतर्रार
और पीया अनाड़ी हो.
Rifle Singh Dhurandhar
ना भींगा करों ऐसे बरसात में
तड़प उठता है Crassa ऐसी रात में.
तुमको तो मिल गए हैं साथी कई
रह गया मैं ही अकेला इस राह में.
कैसे सम्भालूं एक बार बता दे मुझे?
ज़िंदा हूँ मैं बस इसी एक आस में.
कैसे उठाऊं ये गम, ए दिल बता?
हर रात निकालता है वही एक चाँद रे.
रह गया एक राजपूत नाकाम हो के
इश्क़ ने ऐसे जलाया आग में.
ऐसे ना लड़ा मुझसे अँखियाँ गोरी
बदनाम हूँ शहर में किसी के नाम से.
Rifle Singh Dhurdhar
कोई हक़ नहीं, कोई शक नहीं
ये मोहब्बत का कैसा दौर आ गया है?
कोई हया नहीं, कुछ बयाँ नहीं
ये हुश्न इस कदर बेनकाब हो गया है.
वो कहते हैं की हमें
जीने का सलीका नहीं आया
उनके शहर से लौटें है
सबकी जुबाँ पे उनका नाम आम हो गया है.
क्यों ना हो?
उन्हें जीने की और लालसा
दिल में कोई और
बाहों में अब कोई और आ गया है.
मुझे सत्ता से क्या हटाओगे?
अपने पिता की तस्वीर हटा कर.
तुम्हे देखकर सबको
वही पुराना जंगलराज फिर याद आ गया है.
उद्धव से कह दो
कब तक अहंकार पालोगे?
तुम्हे झुकाने को अंगद-रूपी अर्नब आ गया है.
Rifle Singh Dhurandhar
ना शहर मेरा, ना राहें मेरी
ए जिंदगी, कैसे सम्भालूं तुझे?
ना चाँद मेरा, ना तारें मेरे
ए जिंदगी, कैसे सजाऊँ तुझे?
पुकारूँ किसे, बताऊं किसे?
जो दर्द हैं दिल में मेरे।
ना बाग़ मेरा, ना बहारें मेरी
ए जिंदगी, कैसे बहलाऊँ तुझे।
भटकना ही है किस्मत मेरी
भटकना ही है मंजिल मेरी।
ना सुबहा मेरी, ना रातें मेरी
ए जिंदगी, कैसे ठहराऊँ तुझे।
सावन में हूँ एक पतझड़ सा मैं
राहों में हूँ सबके एक कंकर सा मैं.
ना साथी कोई, ना साथ कोई,
ए जिंदगी, किसे सुनाऊँ तुझे?
Rifle Singh Dhurandhar
जिंदगी जहाँ पे दर्द बन जाए
वहीँ से शिव का नाम लीजिये।
अगर कोई न हो संग, राह में तुम्हारे
तो कण-कण से फिर प्यार कीजिये।
राम को मिला था बनवास यहीं पे
तो आप भी कंदराओं में निवास कीजिये।
माना की अँधेरा छाया हुआ हैं
तो दीप से द्वार का श्रृंगार कीजिये।
जिंदगी नहीं है अधूरी कभी भी
तो ना अपहरण, ना बलात्कार कीजिये।
माना की किस्मत में अमृत-तारा नहीं
तो फिर शिव सा ही विषपान कीजिये।
Rifle Singh Dhurandhar
अँखियाँ लड़ाके पीया से सखी
निंदिया आवे रोजे भोर में.
सास दे तारी रोजे गारी
पर मीठा लागे उनकर बोल रे.
Rifle Singh Dhurandhar