टूटे हुए ह्रदय को, झंकार मिले तुमसे
तुम मेरे हो, मेरे शिव, ये अहंकार मिले तुमसे।
तुम अनंत, तुम असंख्य, मैं नगण्य एक धूल कण
तुम्हारे चरणों में रहूं, ये मान मिले तुमसे।
तन तो रहा न रहा, मन में तुम हो सदा,
डूबता ही जा रहा हूँ, ऐसे फंसा हूँ इसमें
आँखों को सुलभ नहीं दर्शन, पर आशीर्वाद मिले तुमसे।
कब तक मैं पुकारूँ, इतना तो बता दो पिता
और कुछ तो नहीं माँगा, बस लाड मिले तुमसे।
Rifle Singh Dhurandhar