कैंसर, गावं के उस भौजी की तरह है जो सबको देख के मुस्काती है. साड़ी संभाल-संभाल के बात करती है.
और लोग समझते हैं की इस का चक्कर सबसे है और उनको ही ज्ञान है.
परमीत सिंह धुरंधर
कैंसर, गावं के उस भौजी की तरह है जो सबको देख के मुस्काती है. साड़ी संभाल-संभाल के बात करती है.
और लोग समझते हैं की इस का चक्कर सबसे है और उनको ही ज्ञान है.
परमीत सिंह धुरंधर