गुरु ही परम ब्रह्म


गुरु ही ब्रह्मा, गुरु ही विष्णु, गुरु ही शिव स्वयं
तो साधो मन गुरु की भक्ति, गुरु ही परम ब्रह्म।

गुरु पाकर ही देव हुए, बिना गुरु रहे दानव समस्त
तो साधो मन गुरु की भक्ति, गुरु ही परम ब्रह्म।

गुरु वशिष्ठ, गुरु विश्वामित्र, तब हुए राम सफल
तो साधो मन गुरु की भक्ति, गुरु ही परम ब्रह्म।

बिना गुरु के कब सफल हुआ कोई धर्म, मोक्ष, करम
तो साधो मन गुरु की भक्ति, गुरु ही परम ब्रह्म।

Rifle Singh Dhurandhar

गुरु – गजानन


अगर गुरु जी आप ना होते,
तो, पूरब से पश्चिम,
उत्तर से दक्क्षिण तक,
हम भटकते।
दुनिया की ठोकरों,
से झुलसते, और
कुण्ठाग्रसित हो कर,
हम धधकते।
आशा के विपरीत है,
धुरंधर सिंह का जीवन,
मगर हर सफलता के,
आप ही हो गजानन।