बेइन्तहा मोहब्बत की


बेइन्तहा मोहब्बत की
मंजिल सिर्फ तन्हाई है
आज जिनकी बाहों में तुम हो
कल उनसे ही तुम्हारी जुदाई है.

रुत बदल जाए, रब बदल जाए
जहाँ पतझड़ है, वहाँ बहार भी आ जाए.
मगर मौत के अलावा
ना इस दर्द की कोई दवाई है.
बेइन्तहा मोहब्बत की
मंजिल सिर्फ तन्हाई है.

तुम ना समझे
तो ये तुम्हारी नादानी है.
वो समझ गए
तो उनकी किस्मत में शहनाई है.

जितना पुकार लो
ना लौट के कोई आएगा।
जिंदगी में बस एक ही बार
होती ये सगाई है.
बेइन्तहा मोहब्बत की
मंजिल सिर्फ तन्हाई है.

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माँ सरस्वती


इस दीन की कुटिया पे, हे माँ आती रहो
बसंत-पंचमी पे ही नहीं, हर दिन आती रहो.
कुछ भी नहीं हैं माँ, जो चरणों में अर्पण कर दूँ,
पर शीश पे मेरे माँ, अपना हाथ रखती रहो.

धूल-धूसरित रहूं, या यूँ ही अध्-खिला
जैसे चाहो माता इस जग में रख लो हाँ.
पर कंठ पे मेरे, मस्तिक में मेरे,
माँ सवारी करती रहो.

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कहाँ हो मेरे पृथ्वीराज?


जिसकी जुल्फों में बंधने को पुष्प-पवन है बेकरार
वो संयोगिता पूछती है कहाँ हो मेरे पृथ्वीराज?
जिसके मुख के आभा से चंद्र हुआ है परास्त
वो संयोगिता पूछती है कहाँ हो मेरे पृथ्वीराज?
हार रही है दुखियारी, टूट रहा मन का हर आस
प्रीत परायी हो जाए, उसके पहले रख लो लाज.
कहाँ हो मेरे पृथ्वीराज? कहाँ हो मेरे पृथ्वीराज?

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पृथ्वीराज चौहान


जिसके नजर के इन्तजार में
टूटा हैं दर्पण कई बार.
वो संजोगिता पूछ रही है
कहाँ हो मेरे पृथ्वीराज?

भारत के कण-कण पे अपने बाजुबल से
लिख रहे है पल-पल में नया इतिहास।
मगर मेरे दिल का हाल
कब समझोगे, मेरे चौहान?

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माँ की ममता और पिता का दुलार


माँ की ममता और पिता का दुलार,
संसार में बस ये ही दो हैं भगवान्।
फिर भी मन भटकता है, कितनो के द्वार
बस पाने को जीवन में प्यार।

माँ की ममता और पिता का दुलार,
संसार में बस ये ही दो हैं भगवान्।
ये ही मेरे शिव हैं, ये ही मेरे विष्णु
इनकी चरणों में हैं चरों मेरे धाम.

माँ की ममता और पिता का दुलार,
संसार में बस ये ही दो हैं भगवान्।
और किसने लुटाये हंस-हंस के अपने स्वप्न
और कर दी तुमपे अपनी खुशियाँ निसार।adher

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हे ग़ालिब


हे ग़ालिब, उनके हुस्न पे तुम क्या लिख रहे हो?
जो भी लिख रहे हो, मेरा दिल लिख रहे हो.
जानता शहर है की जीना है मुश्किल।
मेरे इस दर्द को ही तुम दवा लिख रहे हो.
हे ग़ालिब, उनके हुस्न पे तुम क्या लिख रहे हो?
जो भी लिख रहे हो, मेरा दिल लिख रहे हो.
कैसे हाँ ढूँढू अब कोई रास्ता
मेरी हर राह पे तुम उनका घर लिख रहे हो.

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