जीजाबाई


जो लिख रहें हैं कलम-वाले,
पत्नियां बदलती हैं समाज को.
वो क्या समझेंगें, कैसे पला था,
जीजाबाई जी ने, शिवा जी महाराज को.

परमीत सिंह धुरंधर

शिवा जी


छोटे कद के,
वीर बड़े थे, शिवा जी.
मुगलो को,
दौड़ा-दौड़ा के,
पीटते थे, शिवा जी.
छोटे कद के,
वीर बड़े थे, शिवा जी.
औरंगजेब की नींदे उड़ा दी,
और अफजल खान की साँसे.
हिन्दुस्तान के स्वाभिमान की,
नीवं बने थे, शिवा जी.
छोटे कद के,
वीर बड़े थे, शिवा जी.
माँ के सपने,
गुरु के अलख पे,
अडिग खड़े थे, शिवा जी.
छोटे कद के,
वीर बड़े थे, शिवा जी.

परमीत सिंह धुरंधर

धरती भारत की


जहाँ गंगा की हर धार में,
खेलती है जवानी,
वो धरती है भारत की,
जहाँ वीर हुए बलिदानी।
जहाँ शंकराचार्य ने,
वेद गढ़े,
और नानक ने,
दिए गुरुवाणी।
वो धरती है भारत की,
जहाँ वीर हुए बलिदानी।
जहाँ पहन केशरिया,
भगत सिंह, निकले दुल्हन लाने,
और जीजा बाई ने दी,
शिवा जी को शिक्षा अभिमानी।
वो धरती है भारत की,
जहाँ वीर हुए बलिदानी।

परमीत सिंह धुरंधर