जब दिल टूट जाए, तो माता – पिता की सेवा करनी चाहिए।
धन तो नहीं मिलेगा, पर आनंद जरूर मिलेगा।
परमीत सिंह धुरंधर
जब दिल टूट जाए, तो माता – पिता की सेवा करनी चाहिए।
धन तो नहीं मिलेगा, पर आनंद जरूर मिलेगा।
परमीत सिंह धुरंधर
If I have to marry a Kasmiri girl, I would not ask her religion. In other words, if every girl were bad, I would chose a Kasmiri girl without asking her age, character and religion.
Parmit Singh Dhurandhar
मेरे सैयां की आँखे ऐसी,
जिसपे डाल दे एक बार,
तो वो खाने लगे, फिर आचार।
मेरे सैयां लगे सावन की फुहार से,
जो मिल ले एक बार,
तो वो अपनी चुनार दे उतार।
परमीत सिंह धुरंधर
कभी मिलो न तुम,
आँखों पे डाल के पर्दा।
सारी रात रखेंगे,
हम दो हाथ का फासला।
दिए सा बन के मन जलता रहेगा,
पर हम ना पट खोलेंगें,
ना तुम लबों से ही कुछ कहना।
कभी मिलो न तुम,
आँखों पे डाल के पर्दा।
परमीत सिंह धुरंधर
जिंदगी के इस दौर में अकेला पड़ गया हूँ,
भीड़ से सजी इस बस्ती में भी मैं तन्हा पड़ गया हूँ.
ए पिता, धीरे – धीरे तेरी चाहत बढ़ने लगी है.
जिंदगी हैं मजबूर अब,
बिना तुम्हारे बोझ सी लगने लगी है.
आप थे, तो किसी के चुम्बन में भी मज़ा था,
बन के भौंरा, मैं भी मंडराता था.
अगर आप होते, तो मैं इठलाता,
अगर आप होते, तो मैं मंडराता,
फूल तो लाखों हैं, पर उनमे अब वो बात नहीं,
रिश्ते तो कई बन रहे, मगर वो मिठास नहीं।
रिश्तों के संगम में भी मैं प्यासा रह गया हूँ.
ए पिता, धीरे – धीरे तेरी चाहत बढ़ने लगी है.
जिंदगी हैं मजबूर अब,
बिना तुम्हारे बोझ सी लगने लगी है.
There is no meaning to have living relationship if you do not have a good relationship with your father.
परमीत सिंह धुरंधर
मुझे राजपूत होने का गुमान नहीं,
पर क्या करें,
लहुँ की मेरे बस पहचान यह ही.
हर बार चाहता हूँ,
अपना ईमान बेंच दूँ.
पर एक आवाज आती है,
ये मेरा काम नहीं.
लोग कहते हैं की मैं अकड़ता बहुत हूँ,
मगर दोस्तों मैं पिघलता भी बहुत हूँ.
एक बार भी किसी ने चुम्मा है मेरा माथा,
हर बार रखा है,
फिर सर को उसके चरणों में वहीं।
आते हैं मुझे लूटने के सौ तरीके,
मगर क्या करें,
मेरे पूर्वजों की फितरत ही लुटाने की रही.
और जब तक महाराणा की साँसे हैं,
मेरे खडग को मेवाड़ में,
मुगलों का साया भी बर्दास्त नहीं.
मुझे राजपूत होने का गुमान नहीं,
पर क्या करें,
लहुँ की मेरे बस पहचान यह ही.
परमीत सिंह धुरंधर
खूबसूरत लड़कियां एक जाल बिछाती हैं,
मगरमच्छ के आंसू से बन्दर फंसाती है.
पुरुष-प्रधान समाज से इनको है शिकायत,
मगर अपने डैड को परफेक्ट मैन बताती हैं.
नारी के अधिकार पे स्वतंत्र विचार रखने वाली,
ये अपने भाई के प्रेमिका को चुड़ैल बताती हैं.
इन्हे पसंद हैं रहना खुले आसमान के तले,
घोंसलों को बनाना इनके अरमान नहीं,
मगर तीस तक पहुँचते – पहुँचते,
ये शादी – शादी और सिर्फ शादी चिल्लाती हैं.
परमीत सिंह धुरंधर
If she can not sense the smell, she is not perfect. And, if she has a good sense of smell, she can not be characterful and trustworthy.
Parmit Singh Dhurandhar
जब तक गुनाह नहीं होगा,
कोई तुम्हारा अपना रिस्तेदार नहीं बनेगा।
ये वक्त ही ऐसा है दोस्तों,
जिन आँखों के लिए जी रहे हो,
वक्त आने पे,
वो भी तुम्हारा पहरेदार नहीं बनेगा।
जिस्म की भूख तो गौरेया को भी होती है,
पर शर्म की देवियों से नीचे,
कोई परिंदा भी नहीं गिरेगा।
परमीत सिंह धुरंधर
उनकी कलम क्या लिखेगी, जो महलों के पुजारी हैं,
हमने तो बाँधा है लहरो को, पर आज भी हम भिखारी हैं.
उनकी नजरें क्या चाहेंगी, जो बस सत्ता से चिपकती हैं,
चाहत तो की बस हमने, की आज तक तन्हाई है.
क्या कहे उनपे जिनकी हर बात पे शर्म ही दुहाई है,
अजी, देखा है हमने, हर रात उनकी बजती नयी शहनाई है.
परमीत सिंह धुरंधर