रातों में नेहरू बनना चाहते हैं


ज़माने को गुनाह करने दो-2,
हम इश्क़ करेंगे।
वो शांत हैं, शातिर हैं,
बच के निकल लेंगें।
सिरफिरों में मेरा नाम,
चलने दो.
भगत सिंह की इस धरती पे,
सब लंबा जीना चाहते हैं.
रातों में नेहरू और दिन में,
गांधी बनना चाहते हैं.
वो चालक हैं, चतुर हैं,
सत्ता हथिया लेंगें।
मुझे संघर्ष की राहों का,
लोहिया बनने दो.
लड़कियों का क्या है?
वो इन्हीं से प्रेम करेंगी,
कुवारीं इनके बच्चों की माँ बनेंगी,
और इनके आँगन में हिन् रोयेंगी।
वो कमजोर नहीं, पारंगत हैं,
इस शोषण के खेल में.
उन्हें ये खेल खेलने दो.
सत्ता के खिलाफ नव-विगुल,
बजाने वालों में मेरा नाम रहने दो.
ज़माने को गुनाह करने दो-2,
हम इश्क़ करेंगे।
वो शांत हैं, शातिर हैं,
बच के निकल लेंगें।
सिरफिरों में मेरा नाम,
चलने दो.

 

परमीत सिंह धुरंधर

अपने केजरीवाल


नए जवाहरलाल हैं,
अपने केजरीवाल।
सबको निकाल बहार करेंगे,
खुद करेंगे राज.
मुफ्त मिलेगा खाना सबको,
मुफ्त मिलेगा आनाज,
लेना है अगर सब मुफ्त तो,
फिर मत पूछो सवाल।
बोतल नयी है पर,
उसमे वो ही पुरानी है शराब।
तुम लो बस तीन आना,
और हम लगाएं गुलाब।
नए जवाहरलाल हैं,
अपने केजरीवाल।
सबको निकाल बहार करेंगे,
खुद करेंगे राज.
अन्ना को छोड़ा, भूषण को तोडा,
योगेन्द्र यादव को दी है लात.
आज भी नहीं सुधरेंगे तो,
कल ये भी हो जाएंगे श्यामा प्रसाद।
नए जवाहरलाल हैं,
अपने केजरीवाल।
सबको निकाल बहार करेंगे,
खुद करेंगे राज.

परमीत सिंह धुरंधर