मोहब्बत ना सही, रोज हमसे मिल ही लिया करो
अधरों के जाम न सही, हाथों से चाय ही पिला दिया करो.
हम उफ़ तक ना करेंगे, तुम जिसे चाहो अपना बना लो
बस मेरे नाम का एक खत लिख दिया करो.
RSD
मोहब्बत ना सही, रोज हमसे मिल ही लिया करो
अधरों के जाम न सही, हाथों से चाय ही पिला दिया करो.
हम उफ़ तक ना करेंगे, तुम जिसे चाहो अपना बना लो
बस मेरे नाम का एक खत लिख दिया करो.
RSD
अपनी माँ की दुवाओं का, मैं एक हिसाब हूँ,
तेरी गुलशन में मालिक, मैं आज भी आज़ाद हूँ.
सितमगर ने तो ढाए वैसे कई सितम हम पर,
पर हौसले से सीने में, मैं आज भी बुलंद हूँ.
परमीत सिंह धुरंधर