कुत्ते और वक्ष


कुत्ते भी क्या – क्या चमत्कार करते हैं!
कोई चुम रहा है उनकी पाँवों को,
तो कोई वक्षों से लगा बैठा है.
अब किस्मत और मौसम,
दोनों कुत्तों के साथ है शहर में.
ठण्ड भरे इस मौसम में,
मैं शायर बनके रोता हूँ,
और कोई उन्हें अपनी बाहों,
तो कोई वक्षों पे सुलाता है.

 

परमीत सिंह धुरंधर

जिंदगी


नसीबों का खेल है जिंदगी,
हमने उसे वसूलों में बाँध के रख दिया,
तुम जिस मुकाम पे पहुँच के इतरा रहे हो,
हमने कब का उससे ठोकरों में तौल के रख दिया।

My life is not dependent on the chance of success, it depends how much resistance I will get in the path.

परमीत सिंह धुरंधर

पतंगों का प्रेम


तुम्हारा चरित्र तुम्हारी सूरत नहीं,
हमारा चरित्र ही हमारी सूरत है.
बिजलिया कितना भी चमक ले,
पतंगों का प्रेम बस दीयों के नसीब में है.

Character is everything!!!

परमीत सिंह धुरंधर

किस्मत


आँखों की किस्मत के क्या कहने,
धुप में भी छावं लगे.
दुप्पट्टा जब सर से ढलक के,
उनके सीने पे ठहरे।
कौन कम्बखत,
जन्नत की सैर चाहता है.
बस हवा का झोंका, एक पल को,
उनका दुप्पट्टा उड़ा दे.

परमीत सिंह धुरंधर

किस्मत


मेरी पलकें अभी तक हैं भींगी-भींगी,
उनका चेहरा झुर्रियों से सवरने लगा।
वो भूल गयीं जिन पेड़ों की छावं,
उनकी शाखाओं पे फिर न कोई पुष्प खिला।
राहें – किस्मत को देखा मैंने बदल – बदल कर,
उनकी झोली में पुष्प और मुझे बस काँटा मिला।

परमीत सिंह धुरंधर

किस्मत


तेरी चाल पे तो तख्ते-ताज पलट गए,
ये हम हैं जो फिर भी संभल गए.
तुझे पाने को बाह गयी खून की नदियां,
जाने कैसे इस सैलाब से हम निकल गए.

परमीत सिंह धुरंधर

किस्मत II


अपनी किस्मत ही इस कदर थी रूठी,
सारी उम्र गुजर गई आँखों में बसकर।
जो जुदा हुए उनकी पलकों से,
उनकों देखा नाचते हुए उनकी वक्षों पे थिरक कर.

परमीत सिंह धुरंधर