चाहत


तेरी पलकों में जी लूँ,
मैं अपने सपनों की साँसे.
मेरी पलकों में तू रख दे,
अपनी साँसों के सपनें.
अँधेरी राहों में तू चले,
मेरी बाहों को थाम के.
तेरी बाहों के सहारे,
मैं काटूं जीवन के अपने अँधेरे.
तेरे ख़्वाबों को,
मैं हकीकत बना दूँ.
तू मेरे हकीकत में,
ख़्वाबों का रंग भरें.

परमीत सिंह धुरंधर