मैं धीरे-धीरे,
धीरे-धीरे जो जवान हुआ,
कितनों ने राहें बदली, कितनों ने सलवार बदलीं।
मैं धीरे-धीरे,
धीरे-धीरे जो कुर्बान हुआ,
कितनों ने निगाहें बदली, कितनों ने आँगन बदलीं।
मैं धीरे-धीरे,
धीरे-धीरे जो धनवान हुआ,
कितनों ने रातें काटी, कितनों ने दांत काटी।
मैं धीरे-धीरे,
धीरे-धीरे जो परेशान हुआ,
कितनों ने ईमान बदली, कितनों ने पहचान बदली।
परमीत सिंह धुरंधर