मत पूछों मेरे किनारों से,
असर क्या है दरियाओं का इनपे।
डूबते हैं, टूटते हैं,
पर कोई कह के तो देखे,
की बहका ले गया कोई इन्हे।
परमीत सिंह धुरंधर
मत पूछों मेरे किनारों से,
असर क्या है दरियाओं का इनपे।
डूबते हैं, टूटते हैं,
पर कोई कह के तो देखे,
की बहका ले गया कोई इन्हे।
परमीत सिंह धुरंधर