जो दौलत कमाई
जो शोहरत कमाई
शहर में जो हिम्म्मत दिखाई
सब लूटने लगा है
सब बिखरने लगा है
तूने आँखों में जो
काजल लगाईं।
ये मोहब्बत है मेरी
या शिकायत है खुद से
जो कातिल है मेरा
उससे ही उम्मीदें लगाईं।
परमीत सिंह धुरंधर
जो दौलत कमाई
जो शोहरत कमाई
शहर में जो हिम्म्मत दिखाई
सब लूटने लगा है
सब बिखरने लगा है
तूने आँखों में जो
काजल लगाईं।
ये मोहब्बत है मेरी
या शिकायत है खुद से
जो कातिल है मेरा
उससे ही उम्मीदें लगाईं।
परमीत सिंह धुरंधर