चिनाय सेठ, मैं शीशे के घर में इसलिए रहता हूँ की कोई पत्थर तो मारे, और फिर मैं उसके ऊपर पथरों की बरसात कर दूँ.
परमीत सिंह धुरंधर
चिनाय सेठ, मैं शीशे के घर में इसलिए रहता हूँ की कोई पत्थर तो मारे, और फिर मैं उसके ऊपर पथरों की बरसात कर दूँ.
परमीत सिंह धुरंधर