गुजरे वक्त में सब कुछ मिट गया,
तू निखरती जा रही, मैं तड़पता जा रहा.
आँखों में डूबकर भी किनारा ना मिला,
तू उस तरफ रही, मैं इस तरफ रहा.
मोहब्बत में ये दूरी ही दर्दे-कयामत है ज्वाला,
Gutta, Crassa की ना हुई,
Crassa, Gutta का ना हुआ.
परमीत सिंह धुरंधर