हवाओं का रुख


हवाओं का रुख कुछ ऐसा है,
की राज जानने के लिए,
वो मेरा नाम पढ़ने लगे हैं.

सब जानते हैं की मैं कुछ भी नहीं छुपाता,
पर वो मेरे आने – जाने, खाने -पीने,
पे अब नजर रखने लगे हैं.

 

परमीत सिंह धुरंधर

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