बसंत


आज बसंत-पंचमी पे माँ सरस्वती को समर्पित मेरी बसंत पे पहली रचना।

चोली को संभाल गोरी, चोली को संभाल,
आ गया बसंत, उड़ने लगा है गुलाल।
खोल ले बटन राजा, खोल ले बटन,
आ गया है बसंत, डाल ले गुलाल।

डालूंगा गोरी तो फिर छोडूंगा नहीं,
फिर मत कहना लागे है तुझे लाज.
आ गया बसंत, उड़ने लगा है गुलाल।

मूँद लुंगी आँखे तू डाल ले धीरे से,
बस तोड़ ना देना राजा मेरी चोली का बटन.
आ गया बसंत, उड़ने लगा है गुलाल।

 

परमीत सिंह धुरंधर

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s