अपने कौमार्य को दे कर उसे गजराज कर दो,
स्वयं बन कर मेनका उसे इंद्रा का ताज दे दो.
वो हुंकार करे, हर बार करे,
तुम शांत चित हो कर,
अपने यौवन की वीणा को,
उसकी अँगुलियों से झंकृत कर दो.
परमीत सिंह धुरंधर
अपने कौमार्य को दे कर उसे गजराज कर दो,
स्वयं बन कर मेनका उसे इंद्रा का ताज दे दो.
वो हुंकार करे, हर बार करे,
तुम शांत चित हो कर,
अपने यौवन की वीणा को,
उसकी अँगुलियों से झंकृत कर दो.
परमीत सिंह धुरंधर