वो College Of Agriculture
तुझे मेरा शत – शत बार नमन.
तेरे पावन आँगन में आकर
मैंने पाए खुशियाँ अनगिनत।
घोंसलों से निकला ही था मैं,
तूने मेरे पंखों को
अनंत आसमान दे दिया।
और मैं भी उड़ता रहा – उड़ता रहा,
बिना सोचे, समझे, बिना किसी लक्ष्या के
तूने मेरे नस – नस में ऐसा उत्साह भर दिया।
वो College Of Agriculture
तुझे मेरा शत – शत बार नमन.
तेरे पावन आँगन में आकर
मैंने पाए खुशियाँ अनगिनत।
ना डर, ना भय, ना क्रोध
बस मैं और तेरा आँचल।
किताबों का शौक
दोस्तों का चस्का
ऐसा जगाया तूने
की मेरे पथ को कभी अँधेरा ढक नहीं पाया।
पथ भले कंटीला मिला मुझे
पर हौंसला आज तक टूट नहीं पाया।
वो College Of Agriculture
तुझे मेरा शत – शत बार नमन.
तेरे पावन आँगन में आकर
मैंने पाए खुशियाँ अनगिनत।
परमीत सिंह धुरंधर