सत्ता का दम्भ ही
सत्ता का नाश करता है.
गजराज मद में हो
तो महावत पे प्रहार करता है.
प्रेम अगर सच्चा हो तो
हुस्न किसी और के लिए
श्रृंगार करता है.
परमीत सिंह धुरंधर
सत्ता का दम्भ ही
सत्ता का नाश करता है.
गजराज मद में हो
तो महावत पे प्रहार करता है.
प्रेम अगर सच्चा हो तो
हुस्न किसी और के लिए
श्रृंगार करता है.
परमीत सिंह धुरंधर