धुप में छाँव के जरुरत होती है
जितना पीता हूँ, प्यास उतनी बढ़ती है.
दिल अब भी तेरी यादो में है
जितना भूलता हूँ, याद उतनी आती है.
परमीत सिंह धुरंधर
धुप में छाँव के जरुरत होती है
जितना पीता हूँ, प्यास उतनी बढ़ती है.
दिल अब भी तेरी यादो में है
जितना भूलता हूँ, याद उतनी आती है.
परमीत सिंह धुरंधर