अभी तो तुम दुल्हन सी मासूम हो
कल से बन जाओगी प्रचंड – भयंकर।
अभी तुम्हारी निगाहें शर्म से झुकीं हैं
कल से उगलेंगी ये ज्वालायें निरंतर।
किसने लिखा है जाने क्या सोचकर तुम्हे अबला?
शरण में तुम्हारे स्यवं है महादेव – महेश्वर।
माया के आगे तुम्हारे भला कौन इस जगत में?
तुमसे बड़ा ना कोई हुआ ब्रह्माण्ड में धुरंधर।