इस शहर के हर मोड़ पे अकेला – अकेला सा महसूस करता हूँ
घर किसी का भी टूटे, मैं टुटा – टुटा सा महसूस करता हूँ.
परमीत सिंह धुरंधर
इस शहर के हर मोड़ पे अकेला – अकेला सा महसूस करता हूँ
घर किसी का भी टूटे, मैं टुटा – टुटा सा महसूस करता हूँ.
परमीत सिंह धुरंधर
Nyc
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Thanks a lot as this is special and close to me.
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